मंगळवार, ३० जानेवारी, २०२४

दासबोध मृत्यूनिरुपण

दशक ३ समास ९ : मृत्यनिरूपण

संसार म्हणिजे सवेंच स्वार | नाहीं मरणास

उधार | मापीं लागलें शरीर | घडीनें घडी ||१||

नित्य काळाची संगती | नकळे होणाराची गती |

कर्मासारिखे प्राणी पडती | नाना देसीं विदेसीं ||२||

सरतां संचिताचें शेष | नाहीं क्षणाचा अवकाश |

भरतां न भरतां निमिष्य | जाणें लागे ||३||

अवचितें काळाचे म्हणियारे | मारित सुटती

येकसरें | नेऊन घालिती पुढारें | मृत्यपंथे ||४||

होतां मृत्याची आटाटी | कोणी घालूं न सकती

पाठीं | सर्वत्रांस कुटाकुटी | मागेंपुढें होतसे ||५||

मृत्यकाळ काठी निकी | बैसे बळियाचे मस्तकीं |

माहाराजे बळिये लोकीं | राहों न सकती ||६||

मृत्य न म्हणे किं हा क्रूर | मृत्य न म्हणे हा जुंझार |

मृत्य न म्हणे संग्रामशूर | समरंगणीं ||७||

मृत्य न म्हणे किं हा कोपी | मृत्य न म्हणे हा

प्रतापी | मृत्य न म्हणे उग्ररूपी | माहाखळ ||८||

मृत्य न म्हणे बळाढ्य | मृत्य न म्हणे धनाढ्य |

मृत्य न म्हणे आढ्य | सर्व गुणें ||९||

मृत्य न म्हणे हा विख्यात | मृत्य न म्हणे हा

श्रीमंत | मृत्य न म्हणे हा अद्‍भूत | पराक्रमी ||१०||

मृत्य न म्हणे हा भूपती | मृत्य न म्हणे हा चक्रवती |

मृत्य न म्हणे हा करामती | कैवाड जाणे ||११||

मृत्य न म्हणे हयपती | मृत्य न म्हणे गजपती |

मृत्य न म्हणे नरपती | विख्यात राजा ||१२||

मृत्य न म्हणे वरिष्ठ जनीं | मृत्य न म्हणे राजकारणी |

मृत्य न म्हणे वेतनी | वेतनधर्ता ||१३||

मृत्य न म्हणे देसाई | मृत्य न म्हणे वेवसाई |

मृत्य न म्हणे ठाईं ठाईं | पुंडराजे ||१४||

मृत्य न म्हणे मुद्राधारी | मृत्य न म्हणे व्यापारी |

मृत्य न म्हणे परनारी | राजकन्या ||१५||

मृत्य न म्हणे कार्याकारण | मृत्य न म्हणे वर्णा-

वर्ण | मृत्य न म्हणे हा ब्राह्मण | कर्मनिष्ठ ||१६||

मृत्य न म्हणे वित्पन्न | मृत्य न म्हणे संपन्न |

मृत्य न म्हणे विद्वज्जन | समुदाई ||१७||

मृत्य न म्हणे हा धूर्त | मृत्य न म्हणे बहुश्रुत |

मृत्य न म्हणे हा पंडित | माहाभला ||१८||

मृत्य न म्हणे पुराणिक | मृत्य न म्हणे हा वैदिक |

मृत्य न म्हणे हा याज्ञिक | अथवा जोसी ||१९||

मृत्य न म्हणे अग्निहोत्री | मृत्य न म्हणे हा श्रोत्री |

मृत्य न म्हणे मंत्रयंत्री | पूर्णागमी ||२०||

मृत्य न म्हणे शास्त्रज्ञ | मृत्य न म्हणे वेदज्ञ |

मृत्य न म्हणे सर्वज्ञ | सर्व जाणे ||२१||

मृत्य न म्हणे ब्रह्महत्या | मृत्य न म्हणे गोहत्या |

मृत्य न म्हणे नाना हत्या | स्त्रीबाळकादिक ||२२||

मृत्य न म्हणे रागज्ञानी | मृत्य न म्हणे ताळज्ञानी |

मृत्य न म्हणे तत्वज्ञानी | तत्ववेत्ता ||२३||

मृत्य न म्हणे योगाभ्यासी | मृत्य न म्हणे संन्यासी |

मृत्य न म्हणे काळासी | वंचूं जाणे ||२४||

मृत्य न म्हणे हा सावध | मृत्य न म्हणे हा सिद्ध |

मृत्य न म्हणे वैद्य प्रसिद्ध | पंचाक्षरी ||२५||

मृत्य न म्हणे हा गोसावी | मृत्य न म्हणे हा तपस्वी |

मृत्य न म्हणे हा मनस्वी | उदासीन ||२६||

मृत्य न म्हणे ऋषेश्वर | मृत्य न म्हणे कवेश्वर |

मृत्य न म्हणे दिगंबर | समाधिस्थ ||२७||

मृत्य न म्हणे हटयोगी | मृत्य न म्हणे राजयोगी |

मृत्य न म्हणे वीतरागी | निरंतर ||२८||

मृत्य न म्हणे ब्रह्मचारी | मृत्य न म्हणे जटाधारी |

मृत्य न म्हणे निराहारी | योगेश्वर ||२९||

मृत्य न म्हणे हा संत | मृत्य न म्हणे हा महंत |

मृत्य न म्हणे हा गुप्त | होत असे ||३०||

मृत्य न म्हणे स्वाधेन | मृत्य न म्हणे पराधेन |

सकळ जीवांस प्राशन | मृत्यचि करी ||३१||

येक मृत्यमार्गी लागले | येकीं आर्ध पंथ क्रमिले |

येक ते सेवटास गेले | वृद्धपणीं ||३२||

मृत्य न म्हणे बाळ तारुण्य | मृत्य न म्हणे सुलक्षण |

मृत्य न म्हणे विचक्षण | बहु बोलिका ||३३||

मृत्य न म्हणे हा आधारु | मृत्य न म्हणे उदारु |

मृत्य न म्हणे हा सुंदरु | चतुरांग जाणे ||३४||

मृत्य न म्हणे पुण्यपुरुष | मृत्य न म्हणे हरिदास |

मृत्य न म्हणे विशेष | सुकृती नर ||३५||

आतां असो हें बोलणें | मृत्यापासून सुटिजे कोणें |

मागेंपुढें विश्वास जाणें | मृत्यपंथें ||३६||

च्यारी खाणी च्यारी वाणी | चौऱ्यासी लक्ष जीवयोनी |

जन्मा आले तितुके प्राणी | मृत्य पावती ||३७||

मृत्याभेणें पळों जातां | तरी मृत्य सोडिना सर्वथा |

मृत्यास न ये चुकवितां | कांहीं केल्या ||३८||

मृत्य न म्हणे हा स्वदेसी | मृत्य न म्हणे हा विदेसी |

मृत्य न म्हणे हा उपवासी | निरंतर ||३९||

मृत्य न म्हणे थोर थोर | मृत्य न म्हणे हरीहर |

मृत्य न म्हणे अवतार | भगवंताचे ||४०||

श्रोतीं कोप न करावा | हा मृत्यलोक सकळांस ठावा |

उपजला प्राणी जाईल बरवा | मृत्यपंथें ||४१||

येथें न मनावा किंत | हा मृत्यलोक विख्यात |

प्रगट जाणती समस्त | लाहान थोर ||४२||

तथापी किंत मानिजेल | तरी हा मृत्यलोक नव्हेल |

याकारणें नासेल | उपजला प्राणी ||४३||

ऐसें जाणोनियां जीवें | याचें सार्थकची करावें |

जनीं मरोन उरवावें | कीर्तिरूपें ||४४||

येरवीं प्राणी लाहान थोर | मृत्य पावती हा निर्धार |

बोलिलें हें अन्यथा उत्तर | मानूंचि नये ||४५||

गेले बहुत वैभवाचे | गेले बहुत आयुष्याचे |

गेले अगाध महिमेचे | मृत्यपंथें ||४६||

गेले बहुत पराक्रमी | गेले बहुत कपटकर्मी |

गेले बहुत संग्रामी | संग्रामसौरे ||४७||

गेले बहुतां बळांचे | गेले बहुतां काळांचे |

गेले बहुतां कुळांचे | कुळवंत राजे ||४८||

गेले बहुतांचे पाळक | गेले बुद्धीचे चाळक |

गेले युक्तीचे तार्किक | तर्कवादी ||४९||

गेले विद्येचे सागर | गेले बळाचे डोंग़र |

गेले धनाचे कुबेर | मृत्यपंथे ||५०||

गेले बहुत पुरुषार्थाचे | गेले बहुत विक्रमाचे |

गेले बहुत आटोपाचे | कार्यकर्ते ||५१||

गेले बहुत शस्त्रधारी | गेले बहुत परोपकारी |

गेले बहुत नानापरी | धर्मरक्षक ||५२||

गेले बहुत प्रतापाचे | गेले बहुत सत्कीर्तीचे |

गेले बहुत नीतीचे | नीतिवंत राजे ||५३||

गेले बहुत मतवादी | गेले बहुत कार्यवादी |

गेले बहुत वेवादी | बहुतांपरीचे ||५४||

गेलीं पंडितांची थाटें | गेलीं शब्दांचीं कचाटें |

गेलीं वादकें अचाटें | नाना मतें ||५५||

गेले तापस्यांचे भार | गेले संन्यासी अपार |

गेले विचारकर्ते सार | मृत्यपंथे ||५६||

गेले बहुत संसारी | गेले बहुत वेषधारी |

गेले बहुत नानापरी | नाना छंद करूनी ||५७||

गेले ब्राह्मणसमुदाये | गेले बहुत आचार्ये |

गेले बहुत सांगों काये | किती म्हणोनी ||५८||

असो ऐसे सकळही गेले | परंतु येकचि राहिले |

जे स्वरुपाकार जाले | आत्मज्ञानी ||५९||

इति श्रीदासबोधे गुरुशिष्यसंवादे

मृत्यनिरूपणनाम समास नववा || ३.९ ||

#दासबोधमृत्यूनिरुपण

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