दशक ३ समास ९ : मृत्यनिरूपण
संसार म्हणिजे सवेंच स्वार | नाहीं मरणास
उधार | मापीं लागलें शरीर | घडीनें घडी ||१||
नित्य काळाची संगती | नकळे होणाराची गती |
कर्मासारिखे प्राणी पडती | नाना देसीं विदेसीं ||२||
सरतां संचिताचें शेष | नाहीं क्षणाचा अवकाश |
भरतां न भरतां निमिष्य | जाणें लागे ||३||
अवचितें काळाचे म्हणियारे | मारित सुटती
येकसरें | नेऊन घालिती पुढारें | मृत्यपंथे ||४||
होतां मृत्याची आटाटी | कोणी घालूं न सकती
पाठीं | सर्वत्रांस कुटाकुटी | मागेंपुढें होतसे ||५||
मृत्यकाळ काठी निकी | बैसे बळियाचे मस्तकीं |
माहाराजे बळिये लोकीं | राहों न सकती ||६||
मृत्य न म्हणे किं हा क्रूर | मृत्य न म्हणे हा जुंझार |
मृत्य न म्हणे संग्रामशूर | समरंगणीं ||७||
मृत्य न म्हणे किं हा कोपी | मृत्य न म्हणे हा
प्रतापी | मृत्य न म्हणे उग्ररूपी | माहाखळ ||८||
मृत्य न म्हणे बळाढ्य | मृत्य न म्हणे धनाढ्य |
मृत्य न म्हणे आढ्य | सर्व गुणें ||९||
मृत्य न म्हणे हा विख्यात | मृत्य न म्हणे हा
श्रीमंत | मृत्य न म्हणे हा अद्भूत | पराक्रमी ||१०||
मृत्य न म्हणे हा भूपती | मृत्य न म्हणे हा चक्रवती |
मृत्य न म्हणे हा करामती | कैवाड जाणे ||११||
मृत्य न म्हणे हयपती | मृत्य न म्हणे गजपती |
मृत्य न म्हणे नरपती | विख्यात राजा ||१२||
मृत्य न म्हणे वरिष्ठ जनीं | मृत्य न म्हणे राजकारणी |
मृत्य न म्हणे वेतनी | वेतनधर्ता ||१३||
मृत्य न म्हणे देसाई | मृत्य न म्हणे वेवसाई |
मृत्य न म्हणे ठाईं ठाईं | पुंडराजे ||१४||
मृत्य न म्हणे मुद्राधारी | मृत्य न म्हणे व्यापारी |
मृत्य न म्हणे परनारी | राजकन्या ||१५||
मृत्य न म्हणे कार्याकारण | मृत्य न म्हणे वर्णा-
वर्ण | मृत्य न म्हणे हा ब्राह्मण | कर्मनिष्ठ ||१६||
मृत्य न म्हणे वित्पन्न | मृत्य न म्हणे संपन्न |
मृत्य न म्हणे विद्वज्जन | समुदाई ||१७||
मृत्य न म्हणे हा धूर्त | मृत्य न म्हणे बहुश्रुत |
मृत्य न म्हणे हा पंडित | माहाभला ||१८||
मृत्य न म्हणे पुराणिक | मृत्य न म्हणे हा वैदिक |
मृत्य न म्हणे हा याज्ञिक | अथवा जोसी ||१९||
मृत्य न म्हणे अग्निहोत्री | मृत्य न म्हणे हा श्रोत्री |
मृत्य न म्हणे मंत्रयंत्री | पूर्णागमी ||२०||
मृत्य न म्हणे शास्त्रज्ञ | मृत्य न म्हणे वेदज्ञ |
मृत्य न म्हणे सर्वज्ञ | सर्व जाणे ||२१||
मृत्य न म्हणे ब्रह्महत्या | मृत्य न म्हणे गोहत्या |
मृत्य न म्हणे नाना हत्या | स्त्रीबाळकादिक ||२२||
मृत्य न म्हणे रागज्ञानी | मृत्य न म्हणे ताळज्ञानी |
मृत्य न म्हणे तत्वज्ञानी | तत्ववेत्ता ||२३||
मृत्य न म्हणे योगाभ्यासी | मृत्य न म्हणे संन्यासी |
मृत्य न म्हणे काळासी | वंचूं जाणे ||२४||
मृत्य न म्हणे हा सावध | मृत्य न म्हणे हा सिद्ध |
मृत्य न म्हणे वैद्य प्रसिद्ध | पंचाक्षरी ||२५||
मृत्य न म्हणे हा गोसावी | मृत्य न म्हणे हा तपस्वी |
मृत्य न म्हणे हा मनस्वी | उदासीन ||२६||
मृत्य न म्हणे ऋषेश्वर | मृत्य न म्हणे कवेश्वर |
मृत्य न म्हणे दिगंबर | समाधिस्थ ||२७||
मृत्य न म्हणे हटयोगी | मृत्य न म्हणे राजयोगी |
मृत्य न म्हणे वीतरागी | निरंतर ||२८||
मृत्य न म्हणे ब्रह्मचारी | मृत्य न म्हणे जटाधारी |
मृत्य न म्हणे निराहारी | योगेश्वर ||२९||
मृत्य न म्हणे हा संत | मृत्य न म्हणे हा महंत |
मृत्य न म्हणे हा गुप्त | होत असे ||३०||
मृत्य न म्हणे स्वाधेन | मृत्य न म्हणे पराधेन |
सकळ जीवांस प्राशन | मृत्यचि करी ||३१||
येक मृत्यमार्गी लागले | येकीं आर्ध पंथ क्रमिले |
येक ते सेवटास गेले | वृद्धपणीं ||३२||
मृत्य न म्हणे बाळ तारुण्य | मृत्य न म्हणे सुलक्षण |
मृत्य न म्हणे विचक्षण | बहु बोलिका ||३३||
मृत्य न म्हणे हा आधारु | मृत्य न म्हणे उदारु |
मृत्य न म्हणे हा सुंदरु | चतुरांग जाणे ||३४||
मृत्य न म्हणे पुण्यपुरुष | मृत्य न म्हणे हरिदास |
मृत्य न म्हणे विशेष | सुकृती नर ||३५||
आतां असो हें बोलणें | मृत्यापासून सुटिजे कोणें |
मागेंपुढें विश्वास जाणें | मृत्यपंथें ||३६||
च्यारी खाणी च्यारी वाणी | चौऱ्यासी लक्ष जीवयोनी |
जन्मा आले तितुके प्राणी | मृत्य पावती ||३७||
मृत्याभेणें पळों जातां | तरी मृत्य सोडिना सर्वथा |
मृत्यास न ये चुकवितां | कांहीं केल्या ||३८||
मृत्य न म्हणे हा स्वदेसी | मृत्य न म्हणे हा विदेसी |
मृत्य न म्हणे हा उपवासी | निरंतर ||३९||
मृत्य न म्हणे थोर थोर | मृत्य न म्हणे हरीहर |
मृत्य न म्हणे अवतार | भगवंताचे ||४०||
श्रोतीं कोप न करावा | हा मृत्यलोक सकळांस ठावा |
उपजला प्राणी जाईल बरवा | मृत्यपंथें ||४१||
येथें न मनावा किंत | हा मृत्यलोक विख्यात |
प्रगट जाणती समस्त | लाहान थोर ||४२||
तथापी किंत मानिजेल | तरी हा मृत्यलोक नव्हेल |
याकारणें नासेल | उपजला प्राणी ||४३||
ऐसें जाणोनियां जीवें | याचें सार्थकची करावें |
जनीं मरोन उरवावें | कीर्तिरूपें ||४४||
येरवीं प्राणी लाहान थोर | मृत्य पावती हा निर्धार |
बोलिलें हें अन्यथा उत्तर | मानूंचि नये ||४५||
गेले बहुत वैभवाचे | गेले बहुत आयुष्याचे |
गेले अगाध महिमेचे | मृत्यपंथें ||४६||
गेले बहुत पराक्रमी | गेले बहुत कपटकर्मी |
गेले बहुत संग्रामी | संग्रामसौरे ||४७||
गेले बहुतां बळांचे | गेले बहुतां काळांचे |
गेले बहुतां कुळांचे | कुळवंत राजे ||४८||
गेले बहुतांचे पाळक | गेले बुद्धीचे चाळक |
गेले युक्तीचे तार्किक | तर्कवादी ||४९||
गेले विद्येचे सागर | गेले बळाचे डोंग़र |
गेले धनाचे कुबेर | मृत्यपंथे ||५०||
गेले बहुत पुरुषार्थाचे | गेले बहुत विक्रमाचे |
गेले बहुत आटोपाचे | कार्यकर्ते ||५१||
गेले बहुत शस्त्रधारी | गेले बहुत परोपकारी |
गेले बहुत नानापरी | धर्मरक्षक ||५२||
गेले बहुत प्रतापाचे | गेले बहुत सत्कीर्तीचे |
गेले बहुत नीतीचे | नीतिवंत राजे ||५३||
गेले बहुत मतवादी | गेले बहुत कार्यवादी |
गेले बहुत वेवादी | बहुतांपरीचे ||५४||
गेलीं पंडितांची थाटें | गेलीं शब्दांचीं कचाटें |
गेलीं वादकें अचाटें | नाना मतें ||५५||
गेले तापस्यांचे भार | गेले संन्यासी अपार |
गेले विचारकर्ते सार | मृत्यपंथे ||५६||
गेले बहुत संसारी | गेले बहुत वेषधारी |
गेले बहुत नानापरी | नाना छंद करूनी ||५७||
गेले ब्राह्मणसमुदाये | गेले बहुत आचार्ये |
गेले बहुत सांगों काये | किती म्हणोनी ||५८||
असो ऐसे सकळही गेले | परंतु येकचि राहिले |
जे स्वरुपाकार जाले | आत्मज्ञानी ||५९||
इति श्रीदासबोधे गुरुशिष्यसंवादे
मृत्यनिरूपणनाम समास नववा || ३.९ ||
#दासबोधमृत्यूनिरुपण
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